इतिहास में ताजमहल को पुराने मुग़ल परम्पराओं को ध्यान में रख कर डिज़ाइन किया गया था। जिसमे कुछ हिस्से पर्शियन सभ्यताओं से मेल खाते हुए दिखाई देते है
दुनिया के सात अजूबों में से एक आगरा के ताजमहल को प्यार का प्रतीक माना जाता है। आज मैं आपको ताज महल के इतिहास के बारे में बताऊंगा। आज आप जानेंगे कि ताज महल क्यों, कब, कैसे, और किसने बनवाया ? और साथ में ताज महल से जुड़े सभी किस्से कहानियों के बारे में भी जानेंगे।
प्यार करने वाले ताजमहल को प्यार का मिसाल कहते है। कहा जाता है कि शाहजहां ने अपनी पहली बेगम मुमताज महल के याद में बनवाया था। जो बाद में मुमताज महल का कब्र बन गया, और मुमताज महल के मकबरे के नाम से भी जाना जाने लगा। 73 मीटर ऊँचा और 34,596 स्क्वेर फ़ीट में बना ताजमहल उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में यमुना नदी के किनारे स्थित एक विश्व धरोहर है।
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ताजमहल का इतिहास – Taj Mahal Histroy in Hindi |
ताजमहल अपने अलौकिक सुंदरता के कारण भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में प्रसिद्ध है। ताजमहल को देखने दूसरे देशों से भी हज़ारों लोग रोज आते है। चांदनी रात में ताज महल की चमक दूर-दूर से दिखाई देती है। इसकी सुंदरता के कारण यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी की जा चुकी है। आज ताजमहल को भारत की शान और मोहब्बत का प्रतीक माना जाता है। आज दुनिया भर के लोग इसकी तारीफ करते है।
ताजमहल का इतिहास | Taj Mahal Histroy in Hindi
ताजमहल को पुराने मुग़ल परम्पराओं को ध्यान में रख कर डिज़ाइन किया गया था। जिसमे कुछ हिस्से पर्शियन सभ्यताओं से मेल खाते हुए दिखाई देते है। ताजमहल को बनाने के लिए हुमायु का मकबरा, गुर-इ-अमीर, और जामा मस्जिद के डिज़ाइन का इस्तेमाल किया गया। ताजमहल को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थर के जगह सफ़ेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया। जिससे ताजमहल की सुंदरता और भी निखर गई।
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ताजमहल का इतिहास – Taj Mahal Histroy in Hindi |
मुमताज़ महल का असली कब्र ताज महल के नीचे तहखाने में बनाया गया। और इस कब्र का प्रतिरूप ताजमहल के अंदर बनाया गया। दोनों कब्रों को सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया था। पर्यटकों को तहखाने में जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन ताजमहल के अंदर बने नकली कब्र को देख सकते है। जो एक दम असली कब्र जैसा ही बनाया गया है।
शाहजहां की मृत्यु के बाद, शाहजहां का कब्र भी मुमताज़ महल के कब्र के नजदीक तुलनात्मक तरीके से बनाया गया है। मतलब आपको ताजमहल में दो कब्र दिखेंगे। एक कब्र बड़ा और ऊँचा है। जिसमे शाहजहां का पार्थिव शरीर रखा हुआ है। और दूसरा कब्र जो शाहजहां के कब्र के मुकाबले थोड़ा छोटा है। जिसमे मुमताज़ महल का पार्थिव शरीर रखा हुआ है। दोनों कब्रों का सिराहना मक्का की तरफ है। मानसून में बारिश के पानी की बूंदें दोनों कब्रों पर टपकती है।
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ताजमहल का इतिहास – Taj Mahal Histroy in Hindi |
ताजमहल को बनाने के लिए सफ़ेद संगमरमर राजस्थान से लाया गया था। और भी जैसे जेड और क्रिस्टल जापान से, लेपिस लेजुली अफगानिस्तान से, टर्कोइस तिब्बत से, जैस्पर पंजाब से, शैफाइर श्री लंका से, कार्नेलियन अरब से लाया गया था। और इस तरह ताजमहल में कई बेशकीमती रत्न और महंगे पत्थर लगे हुए थे। जिनको बाद में ब्रिटिश सरकार ने लूट लिया। और लुटे हुए सामानों को ब्रिटेन भेज दिया।
ताजमहल कब बना ?
ताजमहल की पहली नींव मुमताज महल की मृत्यु के बाद 1631 में रखी गई। ताज महल को बनने में कुल 21 सालों का समय लगा। वैसे ताज महल 1643 में ही बन चूका था। लेकिन इसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिए इस पर नक्काशियां करवाई गयी, जिसमे फिर 10 साल का समय लग गया। और इस तरह ताजमहल 1653 में बन कर तैयार हो चुका था। उन दिनों के हिसाब से ताज महल पर 3 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का खर्चा आया था।
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ताजमहल का इतिहास – Taj Mahal Histroy in Hindi |
ताजमहल में इस्तेमाल किये जाने वाले कीमती सफ़ेद संगमरमर को अफगानिस्तान से लाया गया था। इन कीमती पत्थर को भारत लाने के लिए 1500 से भी ज्यादा हाथियों का इस्तेमाल किया गया था। अफगानिस्तान, जापान जैसे बहुत सारे जगहों से इन सभी सामानों को लाने में कुल 15 महीनों का समय लगा था।
ताजमहल को बनाने के लिए लगभग 25 हज़ार कारीगरों ने काम किया था। जिनमे प्रसिद्ध पेंटर, और कलाकार शामिल थे। इनमे मुख्य उस्ताद अहमद लाहौरी थे, जिनको इन 25 हज़ार कारीगरों का प्रधान माना गया था। ताजमहल बनने के बाद शाहजहां ने सभी 25 हज़ार मजदूरों और कारीगरों के हाथ कटवा दिया। ताकि यह मजदूर और कारीगर दुबारा ऐसा महल न बना सकें, वैसे यह एक अफवाह जैसा लगता है। इसके निर्माण में धर्म, संस्कृति, और भूगोल का खास ध्यान रखा गया था।
ताजमहल को किसने बनवाया ?
शाहजहां को बड़े-बड़े महल व किले बनवाने का शौक था। 1631 में शाहजहां अपने राजस्व के चरम सिमा पर थे। शाहजहां की तीन बेग़म मुमताज़ महल, अकबरबादी महल, और इज़्ज़ उन निस्सा थी। जिसमे शाहजहां अपनी पर्शियन बेग़म मुमताज महल से सबसे ज्यादा प्यार करते थे। 1631 में ही मुमताज़ महल अपने चौदवें बच्चे को जन्म देते समय मर गयी। और फिर शाहजहां ने उसकी याद में ताजमहल को बनवा दिया।
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बेग़म मुमताज़ महल और शाहजहां – ताजमहल का इतिहास |
मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद उसके पार्थिव शरीर को ताजमहल के तहखाने में दफना दिया। इस तरह ताजमहल को मुमताज महल का मकबरा भी कहते है। ताज महल बनाने का मकसद शाहजहां अपने इस प्यार को अमर बनाना था। शाहजहां चाहते थे कि ताजमहल को देख कर दुनिया उनके इस प्यार को याद करे।
ताज महल से जुडी रोचक बातें
माना जाता है कि शाहजहां ने एक शिव मंदिर को तुड़वा दिया था। और उसी के ऊपर ताजमहल को बनवा दिया। इस बात पर कई इतिहासकारों में विवाद भी हुआ। लेकिन शाहजहां के जीवनकाल से जुडी किसी भी किताबों में ऐसे किसी भी बात का जिक्र नहीं हुआ। जिसमे शिव मंदिर को तोड़ कर ताजमहल बनवाने की बात कि गई हो। न ही भारत के किसी ऐतिहासिक किताब में वहाँ शिव मंदिर होने का साबुत मिला है।
क्या ताज महल सच में प्यार का प्रतिक है ?
ताजमहल प्यार का प्रतीक है – दुनिया भर के लोग ताजमहल को प्यार का प्रतीक मानते है, लेकिन ऐसा नहीं है। शाहजहां के ऊपर लिखी हुई पादशाह नाम की किताब पढ़ने पर हमे पता चलता है। कि शाहजहां की पहली बेग़म 1621 में मुमताज महल से शादी करने के बाद भी 1617 में अकबरबादी महल, और इज़्ज़ उन निस्सा से निक़ाह किया।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि, अगर शाहजहां को मुमताज महल से वाक़ई में प्यार था, तो बाद में दो शादियाँ और करने की क्या जरूरत पड़ी।
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काला ताजमहल – ताजमहल का इतिहास |
काला ताजमहल क्या है ?
ताजमहल को बनाने के बाद शाहजहां, यमुना नदी के ठीक उस पार एक और काले संगमरमर का ताजमहल बनाने वाले थे। लेकिन अपने ही बेटे औरंगजेब से युद्ध में हारने के बाद उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया था। औरंगजेब द्वारा बंदी बने शाहजहां को आगरा के लाल किला में रखा गया था। और वही से शाहजहां मुमताज़ महल को याद करते हुए ताजमहल को देखा करते थे।
ताजमहल के सइंटिफ़िक रहस्य
ताजमहल की छाया भी एक अलग ही पहेली है। दरअसल, ताजमहल की छाया भी ठीक ताजमहल जैसा ही दिखती है। जिसे आज के वैज्ञानिक भी समझ नहीं पाए। ताजमहल हर समय अलग अलग रंगों का दिखाई पड़ता है। सुबह हल्का गुलाबी, शाम को सुनहला, और रात को दूधिया सफ़ेद दिखाई पड़ता है। ताजमहल के ऐसे बदलते रंगो को स्त्रियों के मूड जैसा दर्शाया गया है।
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ताजमहल की बनावट – ताजमहल का इतिहास |
ताजमहल की अन्य रोचक बातें
क्या आप जानते है ? क़ुतुब मीनार को भारत का सबसे ऊँचा मीनार यानि स्तंभ कहते है। जबकि ताजमहल क़ुतुब मीनार के बारबार का है। और दोनों की ऊंचाई 73 मीटर ही है।
ताजमहल के बड़े द्वार पर दुनिया की सबसे अच्छी calligraphy की गई है। आप ताजमहल के द्वार पर थूलूट भाषा में लिखे गए वेलकम नोट को देख सकते है। इसका मतलब होता है “हे आत्मा, तू ईश्वर के पास विश्राम कर, ईश्वर के साथ शांति से रह, तथा उसकी परम शांति तुझ पर बरसे। इस पंक्ति को अब्दुल हक़ द्वारा लिखा गया था।
1983 में ताजमहल को UNESCO ने विश्व धरोहर माना गया। और साथ ही इसे दुनिया के सात अजूबों में से पहला अजूबा माना गया। इसके साथ ही ताजमहल को इस्लामिक कला का रत्न घोषित किया गया।
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ताजमहल का इतिहास – Taj Mahal Histroy in Hindi |
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. ताजमहल कहाँ स्थित है ?
ताजमहल उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में स्थित है। ताज महल का पूरा एड्रेस है – धर्मपुरी, फारेस्ट कॉलोनी, ताजगंज, आगरा, उत्तर प्रदेश 282001, भारत।
Q. ताजमहल किसने बनवाया ?
ताजमहल, मुग़ल शाषक शाहजहां ने आपकी पहली बेगम मुमताज़ महल के याद में बनवाया था।
Q. ताजमहल कब बना ?
ताजमहल 1631 में बनना शुरू हुआ और 1653 में बन कर तैयार हुआ। इस तरह ताजमहल को बनने में कुल 21 सालों का समय लगा।
Q. मुमताज़ महल का असली मकबरा कहाँ स्थित है ?
मुमताज़ महल और शाहजहां का असली मकबरा ताजमहल के नीचे तहखाने में स्थित है।
Q. शाहजहां की कुल कितनी बेगम थी ?
शाहजहां की कुल तीन बेगम थी। मुमताज़ महल, अकबरबादी महल, और इज़्ज़ उन निस्सा।