क्या आप इंडिया गेट घूमना चाहते हैं? आपको अपनी संपूर्ण यात्रा के लिए इंडिया गेट कैसे पहुंचे, आस-पास के स्थान, टाइमिंग और इतिहास जानने की आवश्यकता है
भारतीय सेनाओं को समर्पित इंडिया गेट दिल्ली का ताज माना जाता है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में सैलानी घूमने आते हैं, जिसमें आपको बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी नजर आएंगे। आज मैं आपको इंडिया गेट के बारे में बताऊंगा। आपको यहां कब आना चाहिए ? यहां कैसे पहुंचें और आस पास घूमने के लिए कितनी जगहें हैं ? साथ ही, आप इंडिया गेट के इतिहास के बारे में जानेंगे। आप इस जानकारी को English में भी पढ़ सकते है।
पीक सीजन: जनवरी
ऑफ सीजन: जून
लोकप्रियता: दिल्ली का प्रतिक
रेटिंग: ⭐⭐⭐
टिकट प्राइस: फ्री
समय: 9 AM – 9 PM

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इंडिया गेट, दिल्ली |
इंडिया गेट दिल्ली पर्यटन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। अगर आप दिल्ली घूमने आए हैं लेकिन इंडिया गेट नहीं गए तो आपकी यात्रा अभी अधूरी है। यहां घूमने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन इंडिया गेट यानि विशालकाय दरवाजे को देखना काफी भव्य लगता है।
इंडिया गेट, दिल्ली – सम्पूर्ण यात्रा
अपनी छुट्टियों को शानदार बनाने के लिए आपको इंडिया गेट घूमने आना चाहिए। यहां आप तस्वीरें खींच सकते हैं और स्थानीय फास्ट फूड का आनंद ले सकते हैं। साथ ही आस-पास बनी अन्य जगहों जैसे राष्ट्रपति भवन और वॉर मेमोरियल देखने भी जा सकते हैं।
इंडिया गेट के आसपास बहुत बड़े हरे घास के मैदान हैं। आप बैठ सकते हैं और अपनी पिकनिक मना सकते हैं। खाने-पीने के लिए यहां आसपास ढेर सारे स्ट्रीट फूड के स्टॉल उपलब्ध हैं। यहां आपको भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी देखने को मिलेंगे। हर साल 26 जनवरी को यहां परेड होती है। जिसमें परेड राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट की ओर आती है।

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इंडिया गेट, दिल्ली |
इसके नीचे काले संगमरमर से बने स्मारक पर 24 घंटे अमर ज्योति जवान नाम का मशाल जलता रहता है। यह मशाल सन 1971 से जल रहा है। इसे कभी बुझने नहीं दिया जाता। सन 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में एक बंदूक और एक सैन्य हेलमेट लगाया गया है।
इंडिया गेट क्या है ?
इंडिया गेट एक युद्ध स्मारक है। 28 जुलाई 1914 को प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सभी सैनिकों के नाम इसकी दीवारों पर पढ़े जा सकते हैं। साथ ही अफगानिस्तान युद्ध में शहीद हुए जवानों के भी नाम आप यहां पढ़ सकते हैं।
इंडिया गेट के पीछे एक और छोटा सा गेट है, शुरुआत में इसके नीचे किंग जॉर्ज फाइव की मूर्ति थी। आजादी के बाद इसे निरंकारी मैदान के कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। भारत की आजादी के बाद इंडिया गेट पर कई बदलाव किए गए। इसमें अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट के ठीक नीचे रखा गया था।
इंडिया गेट का इतिहास
पहले इंडिया गेट को किंग्स वे और अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से भी जाना जाता था। इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए 70,000 से अधिक सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था। इसमें आपको उन सैनिकों के नाम भी दिखाई देंगे जो 6 मई 1919 को आंग्ल-अफगान युद्ध में शहीद हुए थे।

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इंडिया गेट, दिल्ली |
इंडिया गेट के निर्माण के लिए मुख्य रूप से पीले और लाल पत्थरों और ग्रेनाइट का इस्तेमाल किया गया था। ये पत्थर राजस्थान के भरतपुर से लाए गए थे।
इंडिया गेट का निर्माण किसने किया ?
इंडिया गेट के निर्माण का कार्य एडविन लुटियंस को सौंपा गया था। एडविन लुटियंस इंग्लैंड के प्रसिद्ध वास्तुकार थे। वह अपनी पारंपरिक शैली में इमारत के निर्माण के लिए जाने जाते थे। और इसका उद्घाटन भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन ने किया था।
इंडिया गेट का निर्माण 10 फरवरी 1921 को शुरू हुआ था और 12 फरवरी 1931 को पूरा हुआ था। देखा जाए तो इसे बनने में कुल 10 साल लगे थे। इसका डिजाइन पेरिस में आर्क डी ट्रायम्फ से लिया गया था।
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक, इंडिया गेट, दिल्ली
इंडिया गेट के ठीक पीछे बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को जनवरी 2019 में बनाया गया था। इसमें आप उन सभी जवानों के नाम यहां उनकी दीवारों पर लिखा हुआ देख सकते हैं। जैसा कि आप बागा बॉर्डर पर देख सकते हैं, रोज शाम 6:30 बजे वॉर मेमोरियल पर एक कार्यक्रम होता है। इसे देखने के लिए यहां भारी भीड़ जमा हो जाती है।
इंडिया गेट कैसे पहुंचे?
- नजदीकी बस स्टॉप: बड़ौदा हाउस इंडिया गेट का सबसे नजदीकी बस स्टॉप है। यह सिर्फ 2.9 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी मेट्रो स्टेशन: केंद्रीय सचिवालय इंडिया गेट का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह सिर्फ 2 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: नई दिल्ली इंडिया गेट का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह सिर्फ 5.7 किमी की दूरी पर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: IGI इंडिया गेट का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यह सिर्फ 12.6 किमी की दूरी पर है।
आप चाहें तो 1.5 किलोमीटर दूर राष्ट्रपति भवन के दर्शन करने भी जा सकते हैं। हालांकि यह घूमने की जगह नहीं है, लेकिन यहां भी ज्यादातर लोगों का आना-जाना लगा रहता है।
इंडिया गेट टिकट प्राइस 2023
इंडिया गेट पूरी तरह से फ्री है। यहां आपको किसी भी तरह का टिकट लेने की जरूरत नहीं होगी। ध्यान रहे, इंडिया गेट के नजदीक आप खाने-पीने का सामान नहीं ले जा सकते। लेकिन कैमरा, मोबाइल और छोटे बैग ले जा सकते हैं।

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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक – इंडिया गेट, दिल्ली |
इंडिया गेट घूमने का सबसे अच्छा समय
इंडिया गेट खुलने का समय सुबह 9 बजे और बंद होने का समय रात 9 बजे है। यह समय दिल्ली सरकार ने तय किया है। लेकिन इंडिया गेट पर आप कभी भी आ सकते हैं। यह 24 घंटे खुला रहता है। यहां दिन के साथ-साथ रात में भी लोग आते हैं। रात में इंडिया गेट पर लाइट चमकती है। जो देखने में काफी खूबसूरत दिखाई है, इसलिए लोग यहां रात में भी आते हैं।
मौसम की बात करें तो गर्मी के मौसम में शाम के समय यहां ज्यादा भीड़ रहती है। वहीं सर्दी के मौसम में दिन में यहां भीड़ अधिक रहती है। अगर आप भी गर्मियों में इंडिया गेट जा रहे हैं तो शाम को जाएं। आपको धूप की तपिश का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे आप इंडिया गेट पर काफी अच्छे से घूम सकेंगे।
सर्दियों में लोग यहां धूप सेंकने के लिए आते हैं, जिससे यहां काफी भीड़ होती है। इसके अलावा रविवार का दिन भी पर्यटकों को अधिक आकर्षित करता है।
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राष्ट्रीय युद्ध स्मारक – इंडिया गेट, दिल्ली |
इंडिया गेट के पास सर्वश्रेष्ठ होटल
Hotels |
Contact |
Amax Inn ⭐⭐ |
011 43685742 |
Ahuja Residency ⭐⭐⭐ |
01244019335 |
Hotel Emarald ⭐⭐⭐ |
011 40044000 |
Shanti Plaza ⭐⭐⭐ |
09582832162 |
Jukaso Inn Down Town ⭐⭐⭐ |
011 23415450 |
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. इंडिया गेट कहां स्थित है ?
इंडिया गेट भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है। यह राष्ट्रपति भवन के पास राजपथ पर स्थित है। इंडिया गेट का पूरा पता है – राजपथ, इंडिया गेट, नई दिल्ली, दिल्ली 110001, भारत।
Q. इंडिया गेट क्या है ?
इंडिया गेट 28 जुलाई 1914 को प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों का स्मारक है। इसकी दीवारों पर आप शहीद सैनिकों के नाम पढ़ सकते हैं।
Q. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक कहाँ स्थित है ?
नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट के ठीक पीछे स्थित है। इसमें भी यहां घूमने के लिए कोई टिकट नहीं लिया जाता है।
Q. क्या इंडिया गेट के पास पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है ?
हां, आप यहां अपने निजी वाहन पार्क कर सकते हैं। पार्किंग शुल्क देना पड़ सकता है।
Q. इसे इंडिया गेट क्यों कहा जाता है ?
प्रारंभ में, इसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक नाम दिया गया था। लेकिन इसके दरवाजे के आकार का होने के कारण इसका नाम बदलकर इंडिया गेट कर दिया गया। इसे पेरिस के आर्क डी ट्रायम्फ से डोर डिज़ाइन प्राप्त हुआ।