क्या आप बद्रीनाथ मंदिर घूमना चाहते हैं ? आपको पता होना चाहिए कि बद्रीनाथ कैसे पहुंचे, टिकट प्राइस, जाने का सही समय, कितना खर्चा और पूरी जानकारी
भारत के चार धामों में से एक बद्रीनाथ पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बद्रीनाथ की यात्रा के बिना आपके चारों धामों की यात्रा अधूरी है। बद्रीनाथ के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। कहा जाता है कि नर और नारायण नाम के दो पर्वतों के बीच बना यह बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु का वैकुंठ लोक है।
अगर आप बद्रीनाथ घूमने जा रहे हैं तो आपको इसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। आज मैं आपको बताऊंगा कि बद्रीनाथ कैसे पहुंचे ? यहाँ घूमने के लिए और क्या क्या है ? बद्रीनाथ कब आना चाहिए और यहाँ आने के लिए कितना खर्चा आएगा ?
पीक सीजन: जून
ऑफ़ सीजन: जनवरी
लोकप्रियता: भारत का प्रमुख धाम
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐
टिकट प्राइस: फ्री
समय: 24×7
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड |
बद्रीनाथ मंदिर – सम्पूर्ण यात्रा
बद्रीनाथ उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह खूबसूरत बर्फीली पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जो समुद्र तल से 3122 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। अलकनंदा और लक्ष्मण गंगा नाम की दो नदियाँ बद्रीनाथ के पास से बहती हैं।
और यहां आपको गर्म पानी का तालाब भी मिलेगा। मंदिर के अंदर जाने से पहले इस गर्म तालाब में स्नान करना होता है। यदि आप स्नान नहीं करना चाहते हैं, तो आप इस तालाब के पानी को अपने शरीर पर हल्के से छिड़क सकते हैं। मंदिर की ऊंचाई करीब 15 मीटर है, जिस पर सोने के तीन कलश हैं। बद्रीनाथ मंदिर के दो भाग हैं। पहले भाग में गरुड़, हनुमान और लक्ष्मी की मूर्तियाँ विराजमान हैं।
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड |
और दूसरे भाग में विष्णु की काले रंग की मूर्ति स्थित है। इस मूर्ति के माथे पर एक बड़ा सा सुंदर हीरा लगा हुआ है। इसके साथ ही यहां नर, नारायण, कुबेर, नारद और उद्धव की मूर्तियां भी स्थित हैं।
लोग यहां पिंडदान के लिए भी आते हैं। इसमें पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि एक दिन भगवान शिव पर ब्राह्मण को मारने का आरोप लगाया गया था। तब भगवान शिव ने यहां पिंडदान किया था। तब से लेकर आज तक लोग यहां पिंडदान करते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास
बद्रीनाथ मंदिर की कई कहानियां हैं। यहां हर जगह की अपनी अलग कहानी है। कहानियों से पता चलता है कि बद्रीनाथ मंदिर सतयुग से स्थित है।
सतयुग में भगवान विष्णु यहां 66 हजार वर्षों तक तपस्या करने आए थे। इस बीच, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के पास एक बेर का पेड़ उगाया, जिसकी छत्रछाया में विष्णु ध्यान कर सकते थे। इसलिए इसे बद्रीनाथ कहते हैं। बद्रीनाथ का अर्थ है लक्ष्मी के भगवान।
बौद्ध धर्म की स्थापना के बाद चीन ने भारत पर आक्रमण किया। और बद्रीनाथ मंदिर को तोड़ दिया और उसमें रखी विष्णु मूर्ति को लेकर नारद कुंड में फेंक दिया। शंकराचार्य ने उस मूर्ति को नारद कुंड से निकाल कर गरुड़ गुफा में स्थापित कर दिया। और फिर चंद्रवंशी गढ़वाल नरेश ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने करवाया था।
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड |
मंदिर बनने के बाद इंदौर की रानी अहिल्या बाई ने उस पर एक सोने की चोटी स्थापित की। अब, इस मूर्ति को केवल केरल के नंबूद्रीपाद ब्राह्मण ही छू सकते हैं। आज बद्रीनाथ मंदिर में उड़ीसा के जगन्नाथ की तांबे की चूड़ी चढ़ाए बिना तीर्थयात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।
माना जाता है कि यहां लक्ष्मी जी खाना बनाती हैं। और विष्णु जी भोजन करते हैं। लोग अपने पिछले जन्मों के पापों से छुटकारा पाने के लिए यहां आते हैं। यहां एक गर्म पानी का तालाब भी है। जिसमें स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर आस पास के पर्यटक स्थल
- मन: बद्रीनाथ मंदिर से 4 किमी की दूरी पर मन गांव स्थित है। यह गाओ भारत और चीन की सीमा के पास स्थित है। यहां आपको कई पर्यटन स्थल देखने को मिलेंगे। जहाँ आप आसानी से जा सकते हैं
- चरण पादुका: यह भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं। कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु धरती पर आए तो उन्होंने यहां पहला कदम रखा था। यह बद्रीनाथ मंदिर से महज 2.5 किमी की दूरी पर है।
- भीम पुल: यह महाभारत काल में भीम द्वारा बनाया गया एक पुल है। जब पांडव स्वर्ग में जा रहे थे, तब भीम ने रास्ते में सरस्वती नदी को पार करने के लिए नदी पर पहाड़ का एक टुकड़ा रखकर एक पुल बनाया। इससे नदी पार करना आसान हो गया।
- व्यास गुफा: यह एक गुफा है जिसमें महर्षि व्यास ने तपस्या की थी। यह मन गांव से महज 530 मीटर की दूरी पर है। इसके अलावा भी बद्रीनाथ मंदिर के पास घूमने के लिए और भी बहुत सारी जगहें हैं।
बद्रीनाथ के पास सभी खूबसूरत पर्यटक स्थलों की सूची
- माता मूर्ति मंदिर (3 किमी)
- घंटाकर्ण मंदिर (3.5 किमी)
- गणेश गुफा (3.5 किमी)
- मुचकुंड गुफा (6 किमी)
- वसुधारा (7 किमी)
- सतोपंथ (24 किमी)
बद्रीनाथ मंदिर के रास्ते में एक छोटा सा शहर आता है जिसका नाम जोशीमठ है। यहां आप एक खूबसूरत जगह औली की सैर कर सकते हैं। औली स्की के लिए बहुत प्रसिद्ध है।
बद्रीनाथ मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय
बद्रीनाथ मंदिर मई में खुलता है और अक्टूबर में बंद हो जाता है। सर्दियों में मंदिर बंद कर दिया जाता है। क्योंकि यहां बहुत बर्फबारी होती है। इस कारण यहां पहुंचने के सभी रास्ते बंद कर दिए जाते हैं। मेरा सुझाव है कि आप सितंबर या अक्टूबर के महीने में आएं। क्योंकि इन दिनों यहां भीड़ नहीं होती है और चीजें बहुत सस्ती भी हो जाती हैं।
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड |
मैं आपको बता देना चाहता हूँ की आप गर्मी में मत आना। क्योंकि यह बद्रीनाथ का पीक सीजन है। मई और जून में गर्मी की छुट्टियों के कारण यहां बहुत भीड़ हो जाती है। जिससे बद्रीनाथ के होटल और रेस्टोरेंट काफी महंगे हो जाते हैं। बरसात के मौसम से भी बचना चाहिए। क्योंकि बारिश में भूस्खलन होते हैं जो बहुत खतरनाक होते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर में प्रतिदिन 10 से अधिक आरती की जाती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण दो बड़ी आरती हैं, सुबह की आरती जो सुबह 4:30 बजे से सुबह 6:30 बजे तक की जाती है और शाम की आरती जो शाम 6 बजे से 9 बजे तक की जाती है।
बद्रीनाथ मंदिर में कहाँ ठहरें ?
- आश्रम: आप एक दिन के लिए आश्रम में रह सकते हैं। यहाँ पर कमरों का किराया 100 रुपये से शुरू होता है।
- GMVN गेस्ट हाउस: यह एक सरकारी गेस्ट हाउस है। इसकी बुकिंग भी ऑनलाइन की जाती है। इसमें आप 45 रुपये में बेड बुक कर सकते हैं।
- होटल: बद्रीनाथ में आपको कई होटल मिल जाएंगे। इन होटलों का किराया 500 रुपये से शुरू होता है।
बद्रीनाथ मंदिर जाने में कितना खर्च होता है ?
बद्रीनाथ घूमने के लिए सिर्फ 5 दिन का समय काफी है। इसमें आप बद्रीनाथ मंदिर के साथ-साथ आसपास के कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर भी जा सकते हैं। हरिद्वार या देहरादून आने के बाद आपका खर्च करीब 5 हजार होगा। इस खर्चों में आप आसपास के स्थानों पर जा भी सकते हैं, खा सकते हैं, पी सकते हैं और 5 दिनों तक रह सकते हैं।
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बद्रीनाथ मंदिर, उत्तराखंड |
बद्रीनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ?
2010 से पहले बद्रीनाथ पहुंचना बहुत मुश्किल था। लेकिन 2010 में सड़क बनने के बाद यहां पहुंचना बेहद आसान हो गया है। हरिद्वार पहुंचने के बाद बद्रीनाथ पहुंचने के लिए आपको बाकी का सफर बस या टैक्सी से करना होगा।
आपको पहले हरिद्वार से जोशीमठ आना होगा। और फिर आप जोशीमठ से जीप द्वारा बद्रीनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं। अगर आप देहरादून से आ रहे हैं तो आपको देहरादून से जोशीमठ आना होगा। फिर जोशीमठ से बद्रीनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।
- नजदीकी बस स्टॉप: बद्रीनाथ मंदिर के लिए हरिद्वार सबसे नजदीकी राष्ट्रीय बस स्टॉप है। यह 313.8 किमी की दूरी है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: बद्रीनाथ मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। यह 313.8 किमी की दूरी है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (देहरादून) बद्रीनाथ मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यह 307.3 किमी की दूरी है।
अधितकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. क्या मैं अपना मोबाइल और कैमरा बद्रीनाथ मंदिर के अंदर ले जा सकता हूं ?
नहीं, आप अपना मोबाइल, कैमरा और किसी भी अन्य प्रकार के उपकरण को मंदिर के अंदर नहीं ले जा सकते।
Q. क्या मैं बद्रीनाथ मंदिर में फोटोग्राफी या वीडियोग्राफी कर सकता हूं ?
नहीं, आप मंदिर के अंदर फोटो या वीडियो शूट नहीं कर सकते। लेकिन आप मंदिर के बाहर सब कुछ कर सकते हैं।
Q. क्या हम अपनी कार से बद्रीनाथ मंदिर जा सकते हैं ?
हाँ, बद्रीनाथ मंदिर अपनी कार से जाना बहुत अच्छा रहेगा। आपको बस बद्रीनाथ मंदिर के लिए सही रास्ते का पहचान करने की आवश्यकता है।
Q. बद्रीनाथ मंदिर के लिए कौन सा महीना सबसे अच्छा है ?
भीड़ का समय मई और जून है। लेकिन अगर आप शांत माहौल में जाना चाहते हैं तो आपको अक्टूबर और नवंबर के महीने में आना चाहिए।
Q. क्या बद्रीनाथ के लिए कोई हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है ?
जी हां, हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ जाने के लिए आपको सहस्त्र धारा देहरादून जाना होगा। सहस्त्रधारा से आप 9500 रुपये में हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ पहुंच सकते हैं।