क्या आप कुतुब मीनार घूमना चाहते हैं ? आपको यह पता होना कि कुतुब मीनार कैसे पहुंचा जाए, टिकट प्राइस क्या है, जाने का सही समय और पूरी जानकारी
कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊंचा और सबसे प्राचीन स्मारक है। कुतुब मीनार प्राचीन कलाकृति की उत्कृष्ट कृति है। दीवारों पर मौजूद महीन नक्काशी और पेंटिंग से उनका मूल्य चार गुना बढ़ जाता है। कुतुब मीनार एक ऐसा प्रसिद्ध विरासत स्थल बन गया है जिसे देखने के लिए हर दिन 10,000 से अधिक लोग आते है।
तो चलिए कुतुब मीनार के बारे में विस्तार से बताते हैं। कुतुब मीनार की टाइमिंग, टिकट की कीमत और यहां कैसे पहुंचे, इसके बारे में भी आप जानेंगे ? कुतुब मीनार के बाहर आपको लोकल स्ट्रीट फूड के कई स्टॉल मिल जाएंगे। जहां आप हल्का नाश्ता कर सकते हैं। यह जगह ज्यादा महंगी नहीं है, आपको हर चीज सस्ते कीमत पर मिल जाएगी।
पीक सीजन: जनवरी
ऑफ़ सीजन: जून
लोकप्रियता: भारत का सबसे ऊँचा मीनार
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐
टिकट प्राइस: ₹30
समय: 9 AM – 6 PM
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कुतुब मीनार, दिल्ली |
कुतुब मीनार – पूरी जानकारी
कुतुब मीनार दिल्ली के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। यहां आने के बाद आपको ऐसा लगेगा जैसे आप प्राचीन काल में आए हैं। कुतुब मीनार के कई हिस्से टूटे या अधूरे हैं। सरकार द्वारा समय-समय पर इसकी मरम्मत की जाती है। यहां आपको हर जगह हरे भरे घास के मैदान दिखाई देंगे, जिसमें आप बैठकर पिकनिक भी मना सकते हैं।
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कुतुब मीनार, दिल्ली |
कुतुब मीनार के अंदर आपको हर जगह कई खूबसूरत नक्काशी और पेंटिंग देखने को मिलेगी। आपको बता दें कि यह नक्काशी और पेंटिंग सैकड़ों साल पहले की गई थी। लेकिन ऐसा लगता है कि इसे कुछ दिन पहले बनाया गया हो। कुतुब मीनार के चारों ओर उर्दू में छंद भी लिखे हुए हैं।
कुतुब मीनार और आसपास के सभी किले लाल पत्थर से बने हैं। इन्हें बनाने में किसी लोहे की छड़ और सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। कुतुबमीनार 73 मीटर ऊँचा है, जो नीचे से 15 मीटर चौड़ा और ऊपर 2.7 मीटर चौड़ा है। कुतुब मीनार की सभी मंजिलों पर एक शानदार बालकनी भी है। अग्रसेन की बाओली – सम्पूर्ण यात्रा
चौंकाने वाली यह हैं कि भारत में बारिश, तूफान या भूकंप आते रहते हैं। लेकिन इससे कुतुब मीनार को कोई नुकसान नहीं होता है।
कुतुब मीनार का इतिहास
दिल्ली पहले महरौली तोमर और चौहानों की राजधानी थी। इन राजाओं ने इस स्थान पर वेधशालाएं, 27 मंदिर और तारा मंडल बनवाए थे। जिसे इस्लामिक सुल्तानों ने नष्ट कर दिया था और कुतुब मीनार का निर्माण करवाया। आप अभी भी कुतुब मीनार के कई स्तंभों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र देख सकते हैं।
अफगानिस्तान में मौजूद जाम की मीनार से प्रेरित और इसे और भी बड़ा बनाने की चाहत में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1193 में कुतुब मीनार के निर्माण की योजना बनाई कुतुब-उद-दीन ऐबक ने दूर से आने वाले दुश्मनों को देखने के लिए कुतुब मीनार का उपयोग करना शुरू कर दिया। कई इतिहासकारों का मानना है कि कुतुब मीनार मस्जिद से अजान देने के लिए बनाया गया था।
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कुतुब मीनार, दिल्ली |
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कुतुब मीनार का नाम इसके संस्थापक कुतुब-उद-दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था। जबकि कुछ का मानना है कि बगदाद के सबसे प्रसिद्ध संत का नाम कुतुब-उद-दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था। जो उन दिनों दिल्ली आए थे और इल्तुतमिश इसका सम्मान करते थे। उस संत के सम्मान में इस मीनार का नाम कुतुब मीनार रखा गया।
अलाउद्दीन खिलजी ने कुतुब मीनार परिसर में एक मदरसा भी बनवाया था। जिसमें कुरान, बीजगणित, प्रतिस्पर्धी गणित और यूक्लिड की आयतें सिखाई जाती थी। साथ ही इस मदरसे में यूनानी दवाएं बनाना भी सिखाया जाता था।
कुतुब मीनार के पास आपको कुतुब मीनार जैसी एक और मीनार दिखाई देगी, जो आधी ही बनी हुई है। जिसे अलाउद्दीन खिलजी ने बनवाया था। इस अधूरी मीनार को अलाई मीनार कहा जाता है। अला-उद-दीन खिलजी को इस अलाई मीनार को पुराने कुतुब मीनार से दो गुना ऊँचा बनाना था। लेकिन यह अलाई मीनार अला-उद-दीन खिलजी की मृत्यु के कारण पूरा नहीं हो सका।
कुतुब मीनार के अंदर
कुतुब मीनार में आपको कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अला-उद-दीन खिलजी मकबरा, लौह विष्णु स्तंभ, अलाई दरवाजा, इमाम जामिन मकबरा, इल्तुमिश टॉम, लॉरेन स्तंभ और अलाई मीनार दिखाई देंगे। ये सभी इमारतें काफी पुरानी हैं। इन्हें देखकर ही आप इनके इतिहास का अंदाजा लगा सकते हैं।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण भी कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में करवाया था। कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद महज चार साल में बन गई थी। क्योंकि यह जगह पहली हिंदू वेधशाला हुआ करती थी, जिसे तोड़कर एक मस्जिद बनाई गई थी। लेकिन इसके बाद 1230 में इल्तुतमिश और 1351 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस मस्जिद में अलाई दरवाजा जैसे कई हिस्से जोड़े। इस प्रकार अनेक शासकों द्वारा इसका विस्तार किया गया। इसीलिए कुतुबमीनार का इतिहास भी विवादित रहा।
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कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद – कुतुब मीनार, दिल्ली |
अलाई दरवाजा
अलाई दरवाजा, 1351 में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा निर्मित। जो कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का एक हिस्सा है। यह एक चौकोर गुंबद वाली इमारत है। इसकी सभी दीवारें सफेद संगमरमर और लाल पत्थर से बनी हुई हैं।
अलाई मीनार
अलाउद्दीन खिलजी एक बहुत ही आक्रामक और शक्तिशाली सुल्तान था। जिसने कुतुबमीनार को तहस-नहस कर दिया। अलाउद्दीन खिलजी एक और मीनार बनाना चाहता था। जो क़ुतुबमीनार से दुगनी ऊँची होने वाली थी। जिसका नाम अलाई मीनार रखा।
अलाई मीनार का निर्माण 1316 में शुरू हुआ था। लेकिन यह कभी पूरा नहीं हो सका। जब अलाई मीनार का काम चल रहा था तब अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो गई। और फिर अलाई मीनार का निर्माण कार्य हमेशा के लिए बंद हो गया।
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अलाई मीनार – कुतुब मीनार, दिल्ली |
लोह स्तंभ
इस लोहे के स्तंभ का निर्माण चौथी शताब्दी में चंद्रगुप्त द्वितीय (375-413) की स्मृति में किया गया था। चंद्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से भी जाने जाते है। इतिहासकारों का कहना है कि इस लोहे के स्तंभ को विष्णुपद नामक पर्वत पर भगवान विष्णु के ध्वज के लिए बनाया गया था। जिसे एक शक्तिशाली राजा चंद्रगुप्त द्वितीय की याद में बनवाया गया था। इस लोहे के स्तंभ को गरुड़ ध्वज और विष्णु का स्तंभ भी कहा जाता है।
राजा अनगपाल तोमर जो इस लोहे के स्तंभ को विष्णुपद पहाड़ी से लाए थे। ऐसा माना जाता है कि राजा अंगपाल पहला व्यक्ति थे जो पहली बार दिल्ली आए थे। दिल्ली शहर को बसाने का श्रेय भी इन्हीं राजा अंगपाल को जाता है।
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लोह स्तंभ – कुतुब मीनार, दिल्ली |
3000 किलो के इस लोहे के खंबे में कभी जंग नहीं लगती। क्योंकि इसमे 99% शुद्ध लोहे का प्रयोग किया गया है। 1600 साल पहले धातु की ऐसी पहचान काफी चौंकाने वाली लगती है। इस लोहे के स्तंभ पर संस्कृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में एक शिलालेख लिखा हुआ है जो इस लौह स्तंभ के अस्तित्व को दर्शाता है। कुतुबमीनार का इतिहास इसी लोहे के स्तम्भ से शुरू होता है।
सूर्य घड़ी
गॉर्डन सैंडरसन की स्मृति में निर्मित यह सूर्य घड़ी कुतुब मीनार परिसर में मौजूद है। यह सूर्य घड़ी सफेद संगमरमर से बनी है। यह घड़ी धूप में ही काम करती है। जैसे ही सूर्य की दिशा बदलती है, इस सूर्य घड़ी में समय भी बदलता है। इस सूर्य घड़ी पर लैटिन में एक लाइन भी लिखी हुई है। इसका हिंदी में अर्थ है “छाया गायब हो जाती है, और प्रकाश वहीं रहता है।”
कुतुब मीनार का निर्माण किसने करवाया था ?
कुतुब मीनार का निर्माण दिल्ली के गुलाम वंश के पहले शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने करवाया था। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू किया था। लेकिन वह कुतुब मीनार का ही आधार बनाने में सक्षम रहे। बाद में दामाद इल्तुतमिश ने वर्ष 1211 से 1236 में इसमें 3 मंजिलें जोड़ीं। फिर 1363 में फिरोजशाह तुगलक ने पांचवीं व आखिरी मंजिल का निर्माण कराया।
सन 1296 और 1316 के बीच, अलाउद्दीन खिलजी ने कई हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया। समय के साथ, कई इस्लामी सुल्तान आए और कुतुब मीनार का विस्तार किया। आपको बता दें कि अगर आप संयोग से कुतुब मीनार के अंदर जाते हैं, तब भी आपको उन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के कुछ टुकड़े दिखाई देंगे।
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कुतुब-उद-दीन ऐबक – कुतुब मीनार, दिल्ली |
कुतुब मीनार का समय
कुतुब मीनार के खुलने का समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक है। यह कभी बंद नहीं होता। आप किसी भी महीने के किसी भी दिन जा सकते हैं। लेकिन याद रखें, कुतुब मीनार जाने के लिए गर्मी का मौसम अच्छा नहीं होता है। आप शाम को घूमने जा सकते हैं या फिर सर्दी के मौसम में जा सकते हैं। अगर आप ऑनलाइन बुकिंग करते हैं तो आपको टिकट पर 5% की छूट भी मिल सकती है।
कुतुब मीनार टिकट प्राइस 2023
टिकट | प्राइस |
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भारतीय | ₹30 |
विदेशी | ₹500 |
फोटोग्राफी | ₹25 |
वीडियोग्राफी | ₹25 |
कुतुब मीनार कैसे पहुंचे ?
- नजदीकी बस स्टॉप: कुतुब मीनार कुतुब मीनार का सबसे नजदीकी बस स्टॉप है। यह निकास द्वार पर है।
- नजदीकी मेट्रो स्टेशन: कुतुब मीनार मेट्रो कुतुब मीनार का सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन है। यह सिर्फ 1.4 किमी दूर है।
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: नई दिल्ली कुतुब मीनार का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह 15 किमी दूर है।
- नजदीकी हवाई अड्डा: कुतुब मीनार का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा IGI हवाई अड्डा है। यह 12 किमी दूर है।
क़ुतुब मीनार के पास सर्वश्रेष्ठ होटल
Hotels | Contact |
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FabHotel Prime Sage Saket ⭐⭐⭐ | 070424 24242 |
Hotel The Stay Inn ⭐⭐⭐ | 011 29532619 |
Livasa Inn ⭐⭐⭐ | 0 931225 2206 |
Hilton Garden Inn ⭐⭐⭐⭐ | 011 39191919 |
Amaltas Green Park ⭐⭐⭐ | 0 88002 34199 |
अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q. क्या कुतुब मीनार में बैग ले जाने की अनुमति है ?
हां, लेकिन बड़े और भारी बैग नहीं। आप केवल हैंडबैग ले जा सकते हैं।
Q. क्या कुतुब मीनार में भोजन की अनुमति है ?
नहीं, आप कुतुब मीनार में खाने पीने नहीं जा सकते। परिसर में पीने योग्य पानी और शौचालय उपलब्ध हैं।
Q. क्या कुतुब मीनार में फोटोग्राफी की अनुमति है ?
हां, लेकिन फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी के लिए आपको अलग टिकट खरीदने की जरूरत है।
Q. क्या हम रात में कुतुब मीनार जा सकते हैं ?
नहीं, आप शाम 6 बजे के बाद कुतुब मीनार नहीं जा सकते। कुतुबमीनार के बंद होने का समय शाम 6 बजे है।
Q. कुतुब मीनार का वास्तविक नाम क्या है ?
कुतुब मीनार का असली नाम ‘कुव्वत उल इस्लाम’ है। इसका अर्थ है इस्लाम की शक्ति।